हेपाटाइटिस - Hepatitis in Hindi

हेपाटाइटिस क्या है? What is Hepatitis in Hindi?

हेपाटाइटिस लिवर में होने वाला एक गंभीर संक्रामक रोग है। हेपाटाइटिस के कारण लिवर में सूजन आ जाती है। कई बार शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के खराब होने के कारण हेपाटाइटिस हो जाता है और कई बार इसका कारण दवाओं, ड्रग्स और एल्कोहल का सेवन होता है। वैसे तो हेपेटाइटिस किसी भी मौसम में हो सकता है, लेकिन गर्मियों और मानसून के मौसम में जीवाणुओं के बढ़ने और प्रदूषित खानपान से हेपेटाइटिस के मामले कहीं ज्यादा बढ़ जाते हैं।

हेपेटाइटिस के कारण - Hepatitis Causes in Hindi

हेपेटाइटिस ए और ई आमतौर पर दूषित पानी और भोजन के सेवन से होता है। हेपेटाइटिस बी, सी, और डी आमतौर पर संक्रमित व्‍यक्ति के मूत्र, रक्‍त अथवा अन्‍य द्रव्‍य पदार्थों के संपर्क में आने से होता है। हेपाटाइटिस संक्रमित रक्‍त, रक्‍त उत्‍पाद या दूषित सुर्इ अथवा अन्‍य संक्रमित चिकित्‍सीय उत्‍पादों के प्रयोग से भी होता है। इसके अलावा हेपेटाइटिस बी संक्रमित मां से होने वाले बच्‍चे को भी फैल सकता है। इसके अलावा शारीरिक संसर्ग से भी हेपेटाइटिस बी का वायरस फैलता है। लंबे समय तक  शराब पीने की लत भी हेपेटाइटिस का कारण बन सकती है। हेपेटाइटिस डी उन मरीजों को होता है, जो पहले से ही हेपेटाइटिस बी से ग्रस्त हैं। 

हेपेटाइटिस के लक्षण - Hepatitis Symptoms in Hindi

हेपाटाइटिस बढ़ने पर पीलिया का रूप ले लेता है और अंतिम चरण में पहुंचने पर लिवर सिरोसिस या लिवर कैंसर का कारण भी बन सकता है। समय पर उपचार न होने पर रोगी की मृत्यु तक हो सकती है। इसलिए इन लक्षणों के दिखने पर सावधान हो जाएं।

  • थकान
  • फ्लू के लक्षण
  • गहरे रंग का पेशाब
  • मल त्याग में खून आना
  • पेट दर्द की समस्या
  • भूख न लगना
  • अचानक बिना वजह वजन घटने लगना
  • त्वचा और आंखों में पीलापन या पीलिया के लक्षण
  • बुखार के साथ उल्टी आना

    हेपाटाइटिस के प्रकार - Types of Hepatitis in Hindi

    हेपेटाइटिस के पांच मुख्‍य वायरस होते हैं। ए, बी, सी, डी और ई। ये पांच वायरस बहुत खतरनाक होते हैं।

    हेपेटाइटिस ए - Hepatitis A in Hindi

    हेपेटाइटिस ए जलजनित रोग होता है। यह बीमारी दूषित खाने व पानी के कारण होती है। जब नालियों या सीवर का गंदा पानी या किसी अन्य तरह से प्रदूषित जल, सप्लाई वाले पानी में मिल जाता है, तो ये रोग हो सकता है। ऐसी स्थिति में बड़ी संख्या में लोग इससे प्रभावित होते हैं। आमतौर पर यह बीमारी तीन-चार हफ्तों तक कुछ जरूरी परहेज करने से ठीक हो जाती है। गर्भवती महिलाओं को इस बीमारी के कारण पीलिया हो सकता है जिससे समस्या बढ़ सकती है। ऐसी स्थिति में माँ और शिशु दोनों की जान को खतरा होता है।

    हेपेटाइटिस बी - Hepatitis B in Hindi

    हेपेटाइटिस बी का मुख्य कारण शराब है। हेपेटाइटिस-बी में त्वचा और आँखों का पीलापन (पीलिया), गहरे रंग का मूत्र, अत्यधिक थकान, उल्टी और पेट दर्द आदि लक्षण दिखाई देते हैं। हेपेटाइटिस बी क्रॉनिक भी हो सकता है, जो बाद में लिवर सिरोसिस या लिवर कैंसर में परिवर्तित हो सकता है। नियमित टीकाकरण के एक भाग के तहत तीन या चार अलग-अलग मात्रा में हेपेटाइटिस बी का टीका दिया जा सकता है। नवजात बच्चों, छह माह और एक वर्ष की आयु के समय में यह टीका दिया जाता है। ये कम से कम 25 वर्ष की आयु तक सुरक्षा प्रदान करते हैं।

    हेपेटाइटिस सी - Hepatitis C in Hindi

    हेपेटाइटिस सी को साइलेंट किलर माना जाता है। शुरुआत में इस रोग के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं और जब लक्षण दिखाई देते हैं, तब तक यह शरीर में फैल चुका होता है। यह रोग रक्त संक्रमण से फैलता है। हाथ पर टैटू गुदवाने, संक्रमित खून चढ़वाने, दूसरे का रेजर उपयोग करने आदि की वजह से हेपेटाइटिस सी होने की संभावना रहती है। हेपेटाइटिस सी के अंतिम चरण में सिरोसिस और लिवर कैंसर हो सकता है। हेपेटाइटिस के अन्य रूपों की तरह हेपेटाइटिस सी, लीवर में सूजन पैदा करता है। हेपेटाइटिस सी का वायरस मुख्य रूप से रक्त के माध्यम से स्थानांतरित होता है और हेपेटाइटिस ए या बी की तुलना में अधिक स्थायी होता है।

    हेपेटाइटिस डी - Hepatitis D in Hindi

    यह रोग तभी होता है जब रोगी को बी या सी का संक्रमण पहले ही हो चुका हो। हेपेटाइटिस डी विषाणु इसके बी विषाणुओं पर जीवित रह सकते हैं। इसलिए जो लोग हेपेटाइटिस से संक्रमित हो चुके हों, उनके हेपेटाइटिस डी से भी संक्रमित होने की संभावना रहती है। जब कोई व्यक्ति हेपाटाइटिस डी से संक्रमित होता है तो सिर्फ हेपाटाइटिस बी से संक्रमित व्यक्ति की तुलना में उसके लिवर की हानि की आशंका अधिक होती है। हेपेटाइटिस बी के लिये दी गई प्रतिरक्षा प्रणाली कुछ हद तक हेपेटाइटिस डी से भी सुरक्षा कर सकती है। इसके मुख्य लक्षणों में थकान, उल्टी, हल्का बुखार, दस्त, गहरे रंग का मूत्र होते हैं।

    हेपेटाइटिस ई - Hepatitis E in Hindi

    हेपेटाइटिस ई एक जलजनित रोग है और इसके व्यापक प्रकोप का कारण दूषित पानी या भोजन की आपूर्ति है। प्रदूषित जल इस महामारी को फैलाता है, जिससे एक बार में बड़ा जनसमूह इस बीमारी का शिकार बन सकता है। ये एक तरह का संक्रामक रोग होता है, जो एक व्यक्ति से दूसरे में तेजी से फैलता है। बंदर, सूअर, गाय, भेड़, बकरी और चूहे इस संक्रमण के प्रति संवेदनशील हैं और इसके वायरस को तेजी से फैला सकते हैं।

    हेपाटाइटिस की जांच- Diagnosis Of Hepatitis In Hindi

    हेपाटाइटिस के लक्षण दिखने पर सबसे पहले चिकित्सक आपकी बीमारी के इतिहास के बारे में जानकारी लेते हैं क्योंकि अगर आपको पहले ये बीमारी हो चुकी है, तो इसके दोबारा होने की भी आशंका होती है। लिवर के फंक्शन की जांच के द्वारा हेपाटाइटिस का पता लगाया जा सकता है। इसके लिए आपके खून की जांच की जाती है। अगर लिवर के फंक्शन में किसी तरह की परेशानी समझ आती है, तो डॉक्टर आपको खून की अन्य दूसरी जांचों के लिए कह सकते हैं, जो हेपाटाइटिस के कारणों का पता लगाने के लिए जरूरी है। इसके अलावा पेट के अल्ट्रासाउंड और लिवर बायोप्सी के द्वारा भी इसका पता लगाया जा सकता है।

    हेपाटाइटिस का इलाज- Treatment Of Hepatitis In Hindi

    हेपेटाइटिस ए और ई के इलाज की कोई निश्चित दवा नहीं है। चूंकि ये दोनों ही प्रकार के हेपाटाइटिस शुरुआत में होते हैं इसलिए ये ज्यादा खतरनाक नहीं होते हैं और दवाओं से कंट्रोल किए जा सकते हैं। लक्षणों के आधार पर ही इन दोनों हेपेटाइटिस का इलाज किया जाता है। जैसे बुखार के लिए दवा अलग से दी जाती है और पेट दर्द के लिए अलग से। लक्षणों के प्रकट होने पर शीघ्र ही डॉक्टर से संपर्क करें। सिर्फ हेपेटाइटिस ए और बी से बचाव के लिए टीके (वैक्सीन्स) उपलब्ध हैं। इसके अलावा हेपाटाइटिस सी, डी और ई होने पर चिकित्सक आपको अस्पताल में भर्ती करके इलाज करते हैं। हेपाटाइटिस से जुड़े किसी भी तरह के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए क्योंकि इलाज में देरी की वजह से कई बार खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है।