पाचन तंत्र में सुधार के लिए रोज सुबह करें ये 5 योग मुद्रा, गैस और बदहजमी जैसी कई समस्याएं होंगी दूर

mudra for digestion: पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के लिए हम कई उपाय आजमाते हैं, लेकिन आप चाहें तो रोजाना सिर्फ ये 5 मुद्रा करके भी अपने पाचन तंत्र में सुधार कर सकते हैं।

Anju Rawat
Written by:Anju RawatPublished at: Feb 04, 2022

पाचन के लिए योग मुद्रा (yoga mudra for digestion)

पाचन के लिए योग मुद्रा (yoga mudra for digestion)
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mudra for digestion: स्वस्थ रहने के लिए पाचन तंत्र का मजबूत होना जरूरी होता है। कमजोर पाचन तंत्र कई बीमारियों का कारण बनता है। पाचन तंत्र में सुधार करने के लिए लोग कई उपाय आजमाते हैं, लेकिन असर देखने को नहीं मिलता है। आप चाहें तो रोजाना सुबह के समय कुछ खास योग मुद्राओं का अभ्यास करके पाचन तंत्र में सुधार कर सकते हैं। इससे पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं दूर होंगी। गैस, एसिडिटी, अपच और कब्ज से भी राहत मिलेगी।

1. पुषाण मुद्रा

1. पुषाण मुद्रा
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पाचन तंत्र में सुधार करने के लिए पुषाण मुद्रा का अभ्यास करना एक बेहतर विकल्प है। इसे रोज करने से पेट फूलने, मतली और अपच की समस्या दूर होती है। पुषाण मुद्रा करने के लिए सबसे पहले पद्मासन में बैठ जाएं। अपने दोनों हाथों को अपने जांघों पर रखें। इस दौरान हथेलियां आसमान की ओर होनी चाहिए। इसके बाद दाएं हाथ से अंगूठे, तर्जनी और मध्यमा उंगुलियों की युक्तियों को एक साथ दबाएं। बाकि दोनों उंगुलयों को सीधा रखें। साथ ही अपने बाएं हाथ की मध्यमा और अनामिका उंगुली की नोक को अंगूठे से मिला लें। इस अवस्था में रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। लंबी सांस लें और ध्यान लगाएं।

2. प्राण मुद्रा

2. प्राण मुद्रा
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प्राण मुद्रा पित्त की अत्यधिक आग को शांत करती है। आयुर्वेद के अनुसार शरीर में पित्त का संतुलित होना जरूर होता है। क्योंकि इसका असर पाचन तंत्र पर पड़ता है। इसके लिए आप प्राण मुद्रा का अभ्यास कर सकते हैं। इसे करने के लिए पद्मासन में बैठ जाएं। अब अपनी अनामिका और कनिष्ठा उंगुलियों की नोक को अंगूठे की नोक से मिलाएं। मध्यमा और तर्जनी उंगुली को सीधा रखें। इस मुद्रा को आप 10 मिनट तक कर सकते हैं। इसमें लंबी गहरी सांस लें और ध्यान लगाएं।

3. अपान मुद्रा

3. अपान मुद्रा
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अपान मुद्रा पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में काफी फायदेमंद होता है। इस मुद्रा को रोज करने से गैस, अपच से राहत मिलती है। इस मुद्रा को करने के लिए पहले सुखासन में बैठ जाएं। अपने हाथों को घुटनों पर रखें। हथेलियां आकाश की ओर होनी चाहिए। अब अपने मध्यमा और अनामिका उंगुली के छोर को अंगूठे के छोर से मिलाएं। बाकि दोनों उंगुलियों को सीधा रखें। अपनी आंखें बंद कर लें और लंबी सांस भरें।

4. सहज अग्निसार मुद्रा (Sahaj Agnisar Mudra)

4. सहज अग्निसार मुद्रा (Sahaj Agnisar Mudra)
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इस मुद्रा का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले सुखासन में बैठ जाएं। अपनी कमर और रीढ़ की हड्डी को बिल्कुल सीधा रखें। अपनी सांसों पर ध्यान दें। अब अपनी दोनों हथेलियों को पेट पर रखें। हथेलियों को नाभि की ओर रखें। अपनी दोनों हाथों की चारों उंगुलियों से पेट पर हल्का दबाव डालें। पेट की मांसपेशियों को नीचे दबाएं। इस दौरान सांस लें और छोड़ें। 

5. गरुड़ मुद्रा

5. गरुड़ मुद्रा
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गरुड़ मुद्रा करने के लिए सबसे पहले दाईं हथेली को इस तरह रखें कि दोनों हाथों की उंगलियां एक-दूसरे को ढ़कें नहीं। 10 बार गहरी सांस लें और छोड़ें। अपने अपनी हथेलियों को नाभि पर लाएं, फिर 10 बार सांस ले और छोड़ें। अब ऐसा ही हथेलियों को सीने पर रखकर भी करें। आप इस प्रक्रिया को 4-5 मिनट तक दोहरा सकते हैं।

प्राणायाम भी है जरूरी

प्राणायाम भी है जरूरी
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पाचन तंत्र में सुधार करने के लिए रोज मुद्रा करन के साथ ही प्राणायाम और योग करना भी जरूरी होता है। प्राणायाम करने से फेफड़े तो मजबूत बनते ही है, पाचन तंत्र भी मजबूत बनता है। रोजाना खाली पेट प्राणायाम करने से गैस, अपच, कब्ज और एसिडिटी से राहत मिलती है।

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