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प्रेगनेंसी के दौरान स्त्रियों को हो सकती हैं ये 7 समस्याएं, एक्सपर्ट से जानें कैसे करें बचाव

स्त्रियों में प्रग्नेंसी के दौरान अलग लक्षण देखने को मिलते है जो किसी गंभीर समस्या की की तरफ इशारा कर सकते हैं। जानते हैं इनके बारे में...

Garima Garg
Written by: Garima GargUpdated at: Jul 24, 2023 16:31 IST
प्रेगनेंसी के दौरान स्त्रियों को हो सकती हैं ये 7 समस्याएं, एक्सपर्ट से जानें कैसे करें बचाव

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स्त्री के जीवन में प्रेगनेंसी का समय बेहद महत्वपूर्ण और खुशनुमा होता है। यह वह दौर होता है जब स्त्री कई बदलावों से गुजर रही होती है। ऐसे में उसे काफी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। लेकिन अगर इस समय में सतर्कता बरती जाए तो यह स्वास्थ्य समस्याएं भविष्य को नुकसान नहीं पहुंचा सकती। कई बार ऐसा होता है कि हॉर्मोन संबंधित बदलाव के कारण स्त्रियों को स्वास्थ्य समस्याएं ज्यादा परेशान करने लगती हैं। ऐसे में आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि वह कौन सी समस्याएं हैं जिनके कारण स्त्रियों को प्रेगनेंसी के दौरान सतर्कता बरतने की जरूरत है। साथ ही जानेंगे कि इन समस्याओं से बचाव कैसे किया जाए। बता दें कि ये लेख उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल के हेड और सीनियर कंसल्टेंट (स्त्री रोग विशेषज्ञ) एकता बजाज से बातचीत पर बनाया गया है। पढ़ते हैं आगे... 

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डायबिटीज की परेशानी

बता दें कि खानपान की गलत आदतों और दिनचर्या में गड़बड़ी के चलते गर्भवती स्त्रियों को डायबिटीज की समस्या हो रही है। ऐसे में शिशु को भी इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। 

बचाव क्या है

जो स्त्रियां इस समस्या से ग्रस्त होती हैं वह चावल, आलू, जंक फूड, मीठी चीजों के सेवन से बचें। साथ ही हर 3 महीने के अंदर ओजीटीटी यानी ओरल ग्लूकोस टोलरेंस टेस्ट जरूर करवाएं। इसके अलावा स्त्रियां अपने खानपान पर पूरा ध्यान दें। इन सब के बाद भी अगर लक्षण बढ़ते दिखाई दें तो डॉक्टर दवाइयों या इंसुलिन के इंजेक्शन देने की सलाह देते हैं।

यूटीआई की संभावना

बता दें कि प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में प्रोजेस्ट्रेरोन की मात्रा बढ़ जाती है। ऐसे में यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन यानी यूटीआई की समस्या भी हो सकती है। जब इस तरह की परिस्थिति बनती है तो ब्लैडर और यूरेटर की मांसपेशियां ढीली होने लगती हैं। इसका प्रभाव यूरिनरी ट्रैक की संरचना पर भी पड़ता है। जिसके कारण वे झुकती नजर आती हैं। यूरिनरी ट्रैक की संरचना के झुकने के बाद यूरिन किडनी को टच करते हुए ब्लैडर से बाहर आता है। यही कारण होता है कि गर्भावस्था में यूटीआई के साथ किडनी इन्फेक्शन की संभावना भी बढ़ सकती है।

बचाव के लिए क्या करें

एक्सपर्ट की मानें तो इस अवस्था में तरल पदार्थों का सेवन ज्यादा करना चाहिए। ऐसे में प्रेगनेंसी के दौरान स्त्रियां अपनी डाइट में पानी आज जूस आदि तरह पदार्थों को जोड़ सकती हैं इसके अलावा महिलाएं जंक फूड, स्ट्रीट फूड खाने से बचें। कोशिश करें कि पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल ना करें। साथ ही और टॉयलेट जाने से पहले एक बार फ्लश जरूर करें। डॉक्टर की सलाह दी गई दवाइयों का सेवन नियमित रूप से करें। इसके अलावा किसी भी तरह की एंटीबायोटिक कोर्स को बीच में ना छोड़े। वरना इंफेक्शन की संभावना दोबारा से हो सकती है। 

पैरों और कमर में दर्द

गर्भावस्था में स्त्रियों के पैरों में दर्द सूजन और खिंचाव की समस्या देखने को मिलती है। इसके अलावा यह सूजन कई बार चेहरे पर भी दिखाई देने लगती है। ऐसे में प्रेगनेंसी के दौरान रीढ़ की हड्डी पर ज्यादा दबाव पड़ता है, जिसके कारण कुछ स्त्रियों को रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में दर्द महसूस होता है। 

बचाव के लिए क्या करें

ज्यादातर यह परेशानी एक अवस्था में बैठे रहने के कारण होती है। इसके लिए एक स्थान पर बहुत देर तक ना बैठे रहें। साथ ही ज्यादा खड़े होने से भी बचें। यदि आप कामकाजी स्त्रियां हैं और ऑफिस जाती हैं तो अपने पैरों को ज्यादा देर तक जमीन पर ना लटका है। इसके लिए छोटे स्टूल का प्रयोग करके उस पर अपना पैर रखें। रात को सोने से पहले तकिए को पैरों के नीचे रखें यदि आपको बैक पेन है तो बैठते समय कमर और पीठ के लिए तकिए का सपोर्ट लगाएं।

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प्रीइंक्लेप्सिया समस्या से परेशान

गर्भावस्था के शुरुआत में 20 हफ्ते में कुछ महिलाओं को ब्लड प्रेशर बढ़ने की समस्या होती है, जिसके कारण यूरिन से प्रोटीन का रिसाव होने लगता है। इस अवस्था को प्रीइंक्लेप्सिया कहते हैं। जब स्थिति गंभीर हो जाती है तो यह ब्लड प्रेशर 160/110 तक पहुंच जाता है, जिसके कारण अनेकों लक्षण दिखाई देने लगते हैं। जैसे चेहरे पर सूजन, पैरों में दर्द स्थिति पैदा होती है तो प्लेसेंटा मैं खून प्रभाव में दिक्कत आती है। इस परेशानी के चलते शिशु के विकास में बाधा आने लगती है। ऐसे में महिलाओं में नॉजिया, पेट में तेज दर्द, सिर में दर्द, थकान आदि लक्षण देखने को मिलते हैं।

कैसे करें बचाव

प्रेगनेंसी के दौरान अपने ब्लड प्रेशर को समय-समय पर चेक करवाते रहें। किसी भी तरीके की परेशानी आती है तो यूरिन और ब्लड टेस्ट जरूर करवाएं। अगर यहां दिए लक्षण नजर आते हैं तो बिना देरी के डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

एनीमिया की संभावना

स्त्री के शरीर में खून की कमी होने से बच्चे के विकास में भी दिक्कत आती है। ऐसे में डॉक्टर कहते हैं कि प्रेगनेंसी के दौरान स्त्रियों के शरीर में खून की कमी नहीं होनी चाहिए। यदि स्त्रियां अपनी डाइट में आयरन का सेवन ना करें तो उनका हीमोग्लोबिन घटने लगता है। इस दशा को फिजियोलॉजिकल एनीमिया भी कहते हैं। यह वह परिस्थिति होती है जब ब्लड में मौजूद हीमोग्लोबिन शरीर की सभी कोशिकाओं तक ऑक्सीजन नहीं पहुंचा पाता। इसीलिए प्रेगनेंसी के दौरान एनीमिया होने से मां और बच्चे दोनों को काफी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

कैसे करें बचाव

एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि डाइट संतुलित ली जाए तो इस समस्या को दूर किया जा सकता है। ऐसे में अपने डाइट में चुकंदर और हरी पत्तेदार सब्जियों के अलावा अनार, केला, अंजीर, खजूर जैसे आयरन युक्त फलों को जोड़ सकते हैं। इसके अलावा वे चना, गेहूं, रेड मीट आदि का सेवन कर सकते हैं। कुछ खट्टे फल जैसे- संतरा, मौसमी, आंवला, नींबू आदि से भी शरीर में आयरन की कमी को पूरा किया जा सकता है।

थकान और जी‌ मचलाने की समस्या

कुछ स्त्रियों को गर्भावस्था के दौरान सुबह उठकर जी मचलाने और थकान जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है। इस समस्या के लिए ह्यूमन क्रॉनिक gonadotropin जिम्मेदार है। महिला के यूट्रस में जैसे ही एक का फर्टिलाइजेशन होता है वैसे ही हार्मोन सक्रिय होने लगते हैं। यही कारण होता है कि एस्ट्रोजेन हार्मोन की मात्रा भी बढ़ने लगती है इसीलिए शुरुआत के 3 महीनों में इस तरह की समस्या देखने को मिलते हैं।

कैसे करें बचाव

सुबह उठने के बाद किसी नमकीन चीज का सेवन करने से इस समस्या को रोका जा सकता है। इसके अलावा खाने के बीच में पानी पीने से जी मचलाने की समस्या होती है ऐसे में इस आदत को भी बदलें। आपको किसी चीज की सुगंध अच्छी नहीं लगती तो उससे दूर है अगर दिन में एक या दो बार उल्टी आए तो दवा ना लें।

त्वचा की समस्या

प्रेगनेंसी के दौरान पेट बढ़ने के कारण चेहरे पर भी खिंचाव पड़ता है, जिसके कारण त्वचा रूखी नजर आती है इस तरीके का असर थाइज़ की त्वचा पर भी पड़ता है, जिसके कारण महिलाओं को खुजली होने लगती है। क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान हॉर्मोंस बदलते हैं इसीलिए महिलाओं को पिंपल्स की समस्या भी होने लगती है। 

कैसे करें बचाव

इस तरह के बदलाव परमानेंट नहीं होते हैं। यदि गर्भावस्था के दौरान इस तरीके से लक्षण नजर आते हैं तो चिंतित ना हों और किसी भी तरह की दवाई लेने की भी जरूरत नहीं है क्योंकि डिलीवरी के बाद इस तरह के बदलाव खुद ब खुद दूर हो जाएंगे। अगर आप त्वचा की रूखेपन से परेशान हैं तो इसे दूर करने के लिए मॉइस्चराइजर का प्रयोग करते रहें।

बता दें कि ये लेख उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल के हेड और सीनियर कंसल्टेंट (स्त्री रोग विशेषज्ञ) एकता बजाज से बातचीत पर बनाया गया है।

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