Parasomnia: बच्चों को नींद में बोलने और चलने की आदत क्यों होती है? जानें इसके लक्षण और इलाज

अगर आपके बच्चों को भी है रात में बड़बड़ाने की आदत तो जानें इसके कारण और इलाज कैसे किया जाता है। 

 

Vikas Arya
Written by: Vikas AryaUpdated at: Aug 30, 2023 11:30 IST
Parasomnia: बच्चों को नींद में बोलने और चलने की आदत क्यों होती है? जानें इसके लक्षण और इलाज

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कुछ बच्चे रात में नींद के दौरान अक्सर डर जाते हैं। जबकि, कुछ बच्चों को रात में सोते हुए बड़बड़ाने की आदत होती है। ऐसे में बच्चा दिनभर जो कुछ भी बाते करते हैं वह रात में दोहराने लगते हैं। कई बार तो बच्चे जैसा सोचते हैं ठीक वैसे ही बाते करने लगते हैं। अधिकतर बच्चों को इस तरह की समस्या होती है। लेकिन, ये समस्या समय के साथ अपने आप ठीक हो जाती है। इस समस्या को पैरासोमनिया कहते हैं। कुछ बच्चों में यह समस्या इतनी गंभीर होती है कि वह रात के समय नींद में उठकर चलने लगते हैं। चाइल्ड केयर अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. रूचिन अग्रवाल से जानते हैं कि बच्चों को नींद में चलने और बड़बड़ाने की आदत क्यों होती है। 

पैरासोमनिया क्या है? What is Parasomnia in Children in Hindi 

पैरासोमनिया को मोटे तौर पर दो प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है: गैर-आरईएम (रैपिड आई मूवमेंट) पैरासोमनिया और आरईएम पैरासोमनिया। गैर-आरईएम पैरासोमनिया गहरी नींद के चरणों के दौरान होता है और इसमें नींद में चलने, रात में डर और भ्रमपूर्ण उत्तेजना जैसे विकार शामिल होते हैं। वहीं, आरईएम पैरासोमनिया आंखों के तेजी से हिलने के दौरान होता है और इसमें बुरे सपने और नींद संबंधी विकार जैसी स्थितियां शामिल होती हैं।

बच्चों में पैरासोमनिया के लक्षण - Symptoms Of Parasomnia In Children in Hindi 

स्लीपवॉकिंग

स्लीपवॉकिंग विकार होने पर बच्चे नींद में बिस्तर पर बैठ सकते हैं, इधर-उधर घूम सकते हैं, या सोते हुए भी गतिविधियां कर सकते हैं। वे भ्रमित दिखाई दे सकते हैं और अगले दिन की घटना को याद नहीं रख पाते हैं।

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रात को डरना (नींद से डरना)

इसमें बच्चे रात को नींद से अचानक जागना, डरना और भ्रम हो सकता है। रात में डरने का अनुभव करने वाले बच्चे चिल्ला सकते हैं। इस स्थिति में बच्चों को पसीना बहुत आता है और उनकी हृदय गति तेज़ हो सकती है। 

भ्रम होना

भ्रम की स्थिति में बच्चे हल्की नींद के दौरान उठना-बैठना, बड़बड़ाना, या भ्रमित दिखाई देना जैसे व्यवहार प्रदर्शित कर सकते हैं। ये घटनाएं अक्सर नींद के चरणों के बीच संक्रमण के दौरान होती हैं।

बुरे सपने आना

बुरे सपने बच्चों को परेशान करने वाले सपने होते हैं, जो आमतौर पर आरईएम नींद चरण के दौरान आते हैं। ऐसे में बच्चे डरकर उठ सकते हैं और उन्हें दोबारा सोने में परेशानी हो सकती है।

आरईएम स्लीप बिहेवियर डिसऑर्डर (आरबीडी)

यह बच्चों में अपेक्षाकृत दुर्लभ है, आरबीडी में आरईएम नींद के दौरान सपनों का अभिनय करना शामिल है। आरबीडी वाले बच्चे शारीरिक रूप से अपने सपनों को साकार कर सकते हैं, जिससे उनकी सुरक्षा जोखिम पैदा हो सकता है।

बच्चों में पैरासोमनिया के कारण - Causes Of Parasomnia in Children in Hindi 

पैरासोमनिया के कई कारण हो सकते हैं और हर बच्चे में अलग-अलग हो सकते हैं। पैरासोमनिया में योगदान देने वाले कारकों में आनुवांशिकी, नींद की कमी, तनाव, बुखार, कुछ दवाएं और किसी तरह के इलाज को शामिल किया जा सकता है। 

बच्चों में पैरासोमनिया का इलाज कैसे किया जाता है - Treatment of Parasomnia in children In hindi 

बच्चों में पैरासोमनिया के इलाज उनके लिए नींद का माहौल बनाना, जीवनशैली में बदलाव और, कुछ मामलों में दवाओं को भी शामिल किया जाता है। इनके बारे में आगे बताया गया है। 

  • बच्चे को सुरक्षित स्थान पर सुलाएं: पैरासोमनिया एपिसोड के दौरान चोट का कारण कम करने के लिए बच्चे को सुरक्षित स्थान पर सुलाएं। उदाहरण के लिए उसे ज्यादा ऊंचाई जैसे छत पर न सुलाएं। 
  • नींद का पैर्टन बनाना: नियमित नींद का पैर्टन बनाना बच्चे के नींद के चक्र को नियमित करने और पैरासोमनिया की घटना को कम करने में मदद कर सकता है। लगातार सोने और जागने का समय महत्वपूर्ण है।
  • तनाव कम करें: बच्चा यदि तनाव में है तो उसका स्ट्रेस दूऱ करें, क्योंकि तनाव पैरासोमनिया को बढ़ा सकता है। बच्चे को ध्याना सिखाएं और मेडिटेशन कराएं। 
  • दवा: यदि, बच्चे की स्थिति गंभीर है तो इस स्थिति में डॉक्टर उसके लिए कुछ दवाएं दे सकते हैं। यह दवाएं बच्चे की समस्या के मुख्य कारण को कम करने के लिए दी जाती हैं। 

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बच्चे को नींद में चलने या बोलने की आदत हैं तो ऐसे में अभिभावकों को बच्चे का पूरा ध्यान देना चाहिए। इस समय बच्चे को घर के लोगों के सपोर्ट की आवश्यकता होती है। यह एक मेडिकल केंडीशन है, इसका इलाज किया जा सकता है। ऐसे में अभिभावकों को तुरंत डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। 

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