ऑस्टियोपोरोसिस

ऑस्टियोपोरोसिस क्‍या है? - What is Osteoporosis in Hindi?

ऑस्टियोपोरोसिस हड्डियों का एक रोग है इसे हिन्दी में भंगुर कहते है।, जिसमें रोगी की हड्डियां अंदर से खोखली और कमजोर हो जाती हैं। हमारी हड्डियां कैल्शियम फॉस्फेट और कोलाजेन नाम के प्रोटीन से मिलकर बनी होती हैं। ये तत्व आपस में मधुमक्खी के छत्ते की तरह जुड़े होते हैं। स्वस्थ व्यक्ति के शरीर की हड्डियों के अंदर बहुत कम रिक्त स्थान होता है, जिसके कारण हड्डियां मजबूत होती हैं और आसानी से बाहरी दबावों और झटकों को सह लेती हैं। ऑस्टियोपोरोसिस होने पर रोगी की हड्डियों के बीच का यही रिक्त स्थान बढ़ता जाता है और इसी कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। ऑस्टियोपोरोसिस होने पर थोड़ा सा झटका लगने या गिरने आदि से रोगी की हड्डियां टूट सकती हैं।

आमतौर पर ऑस्टियोपोरोसिस किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है मगर इसका सबसे ज्यादा खतरा उम्रदराज लोगों को होता है और पुरुषों से ज्यादा इस रोग से महिलाएं प्रभावित होती हैं। ऑस्टियोपोरोसिस रोग के कारण कई बार व्यक्ति की हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि उठने-बैठने से भी टूट जाती हैं। आमतौर पर इस रोग के कारण सबसे ज्यादा खतरा पसली की हड्डी, कूल्हे की हड्डी, कलाई की हड्डी और रीढ़ की हड्डी को होता है।

ऑस्टियोपोरोसिस का कारण - Osteoporosis Causes in Hindi

  • कमजोर शरीर और कद छोटा होना इसका महत्वपूर्ण कारण है।
  • जरूरत से ज्यादा धूम्रपान करना और शराब का सेवन।
  • दिनचर्या में व्यायाम और योगा इत्यादि को शामिल न करना।
  • खाने में विडामिन डी की मात्रा कम लेना और कैल्शियम युक्त पदार्थ न लेना।
  • संतुलित आहार न लेना।
  • मासिक धर्म नियमित न होना या जल्दी मीनोपोज हो जाना।
  • आर्थराइटिस, टीबी जैसी कोई बीमारी पहले होना।
  • प्रोटीन की कमी के कारण।
  • बहुत ज्यादा सॉफ्ट ड्रिंक पीने, ज्यादा नमक से भी इस बीमारी को पांव पसारने का मौका मिल सकता है।

ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण - Osteoporosis Symptoms in Hindi

यूं तो आरंभिक स्थिति में दर्द के अलावा ऑस्टियोपोरोसिस के कुछ खास लक्षण नहीं दिखाई देते, लेकिन जब अक्सर कोई मामूली सी चोट लग जाने पर भी फ्रैक्चर होने लगे, तो यह ऑस्टियोपोरोसिस का बड़ा संकेत होता है। इस बीमारी में शरीर के जोडों में जैसे रीढ़, कलाई और हाथ की हड्डी में जल्दी से फ्रैक्चर हो जाता है। इसके अलावा बहुत जल्दी थक जाना, शरीर में बार-बार दर्द होना, खासकर सुबह के वक्त कमर में दर्द होना भी इसके लक्षण होते हैं। इसकी शुरुआत में तो हड्डियों और मांसपेशियों में हल्का दर्द होता है, लेकिन फिर धीरे-धीरे ये दर्द बढ़ता जाता है। खासतौर पर पीठ के निचले हिस्से और गर्दन में हल्का सा भी दबाव पड़ने पर दर्द तेज हो जाता है। क्योंकि ऑस्टियोपोरोसिस का शुरुआती दौर में अक्सर पता नहीं लग पाता, इसलिए इसके जोखिम से बचने के लिए पचास साल की आयु के बाद डॉक्टर नियमित अंतराल पर एक्स-रे कराने की सलाह देते हैं, ताकि इस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सके। अधिकतर भारतीय लोग विटमिन डी की कमी से ग्रस्त होते हैं। यही कारण है कि उनकी हड्डियां कमजोर हो रही हैं। यहां हर दस में से लगभग चार स्त्रियों और चार में से एक पुरुष को यह समस्या घेर रही है।

ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोपीनिया में अंतर - Difference between Osteopenia and Osteoporosis in Hindi

ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोपीनिया हड्डियों से संबंधित बीमारी है जो पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को अधिक होती है। ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। इसमें हड्डियों का बोन मास कम हो जाता है और वे भुरभुरी हो जाती हैं। इस बीमारी में दर्द के अलावा हड्डियों के फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। इसे साइलेंट बीमारी कहा जाता है। यह धीरे धीरे होता है और बढ़ता जाता है, फिर इसका इलाज मुश्किल हो जाता है। जबकि ऑस्टियोपीनिया हड्डियों की समस्‍याओं के फैलने की शुरूआती अवस्‍था है, यानी हडिृडयों के बोन मास में कमी होने की शुरूआती स्थिति को ऑस्टियो‍पीनिया कहा जाता है। इस बीमारी में हड्डियों का घनत्‍व यानी बोन डेंसिटी कम हो जाता है। बाद में ही यही बीमारी ऑस्टियोपोरोसिस का रूप ले लेती है।

ऑस्टियोपोरोसिस की जांच - Diagnosis & Tests in Hindi

आमतौर पर जब आप दर्द या हड्डी टूटने के कारण डॉक्टर के पास जाते हैं, तो वो आपसे दर्द और हड्डी टूटने से जुड़े कुछ सवाल पूछकर इस बात का अंदाजा लगाते हैं कि कहीं आपको ऑस्टियोपोरोसिस तो नहीं। 

ऑस्टियोपोरोसिस की जांच:

  • बोन मिनरल डेंसिटी टेस्ट -  ऑस्टियोपोरोसिस की जांच के लिए बीएमडी टेस्ट अर्थात बोन मिनरल डेंसिटी टेस्ट भी कराया जाता है। इसके अलावा बोन डेंसियोमेट्री जांच या ड्युअल-एनर्जी एक्स-रे एब्जॉर्पियोमेट्री यानि (DEXA) डेक्सा के द्वारा भी ऑस्टियोपोरोसिस का पता लगाया जा सकता है। इस जांच में आमतौर 20 मिनट से 40 मिनट का समय लगता है।
  • पेशाब टेस्ट – अगर डॉक्टर को जरूरी लगता है, इसका पता लगाने के लिए डॉक्टर पेशाब के टस्ट की मदद लेते हैं।
  • खून टेस्ट – ये परीक्षण खून में विटामिन डी के स्तर की जांच करने के लिये किया जाता है। साथ ही साथ कुछ अन्य प्रकार के परीक्षण किए जाते हैं, जो हड्डियों के स्वास्थ्य को निर्धारित करते हैं।

ऑस्टियोपोरोसिस का इलाज - Osteopenia Treatment in Hindi

अगर जांच में ऑस्टियोपोरोसिस का पता चलता है तो डॉक्टर सबसे पहले आपको भारी काम करने और जंपिंग, एक्सरसाइज आदि न करने की सलाह देते हैं क्योंकि इससे हड्डियों के टूटने का खतरा होता है। ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव के लिए आपको कैल्शियम और मैग्नीशियम से भरपूर आहार का सेवन करना चाहिए। विटामिन सी के सेवन से भी हड्डियां मजबूत होती हैं। 

कैल्शियम और विटामिन डी की कमी ऑस्टियोपोरोसिस की मुख्य वजह है। कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है जबकि विटामिन डी कैल्शियम को शरीर में अब्जॉर्ब करने का काम करता है। इसलिए कैल्शियम वाले आहार या सप्लीमेंट लेने के साथ-साथ आपको विटामिन डी भी भरपूर लेना चाहिए। विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत धूप है। अगर आप हल्का-फुल्का व्यायाम जैसे वॉक, एरोबिक्स, डांस और लाइट स्ट्रेचिंग करें या योग करें तो इसका खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा रोजाना सीढ़ियां चढ़ना भी आपके लिए फायदेमंद होता है। ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव के लिए आपको कैल्शियमयुक्त आहार जैसे दूध, दही और पनीर का ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए। प्रोटीन के लिए आप सोयाबीन, सोया टोफू, मछली, दाल, पालक, मखाना, मूंगफली, अखरोट, काजू, बादाम, स्प्राउट्स और मक्का आदि खा सकते हैं।

ऑस्टियोपोरोसिस के बचाव के उपाय - Prevention of Osteopenia in Hindi

  • उम्र बढ़ने के साथ ऑस्टियोपोरोसिस के होने की संभावना बढ़ जाती है, व्‍यायाम न करने के कारण हड्डियों का घनत्‍व कम होता है और हड्डियां कमजोर हाने लगती हैं।
  • खानपान के में बदलाव करके इस बीमारी की संभावना को कम किया जा सकता है। पोषक आहार का सेवन कीजिए, ऐसा आहार जिसमें कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर मात्रा में मौजूद हों, हरी पत्तेदार सब्जियां खायें, डेयरी उत्‍पाद का सेवन करें, खाने में मछली को शामिल कीजिए।
  • नियमित रूप से 1,500 मिलिग्राम कैल्शियम का सेवन हड्डियों को मजबूत रखने के लिए जरूरी है।
  • शरीर का भार औसत रखें, वजन बढ़ने न दें, मोटापे के कारण भी हड्डियों की बीमारी हो सकती है।
  • प्रतिदिन एक मील पैदल चलने की कोशिश करें। पैदल चलना बोन मास को बढ़ाने में सहायक है।
  • शारीरिक रूप से सक्रिय रहने की कोशिश करें, नियमित रूप से एक्सरसाइज और योग का अभ्‍यास कीजिए।