इन 7 प्राकृतिक तरीकों से पाएं अल्‍जाइमर से छुटकारा, जल्‍दी मिलेगा आराम

अल्‍जाइमर ऐसी मानसिक बीमारी है जो धीरे-धीरे पनपती है, इसके कारण सोचने और समझने की क्षमता कमजोर हो जाती है, लेकिन प्राकृतिक तरीके से अगर इसका उपचार किया जाये तो इसका ईलाज हो सकता है।

Atul Modi
Written by:Atul ModiPublished at: Sep 20, 2018

अल्जाइमर के लिए हर्ब

अल्जाइमर के लिए हर्ब
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अल्जाइमर मानसिक बीमारी है जो धीरे-धीरे होती है। इसकी शुरूआत मस्तिष्क के स्मरण-शक्ति को नियंत्रित करने वाले भाग में होती है और जब यह मस्तिष्क के दूसरे हिस्से में फैल जाता है तब भावों और व्यवहार की क्षमता को प्रभावित करने लगता है। इसके कारण अभी भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं। मानसिक रूप से आप खुद को व्यस्त रखकर इस बीमारी से बचाव कर सकते हैं। डांस, योग और ध्यान लगायें, किताबें पढ़ें, बोर्ड गेम्स आदि क्रियाकलापों से मष्तिष्क मजबूत होता है और इस बीमारी से बचाव होता है। लेकिन अगर यह बीमारी हो गई है तो प्राकृतिक उपचार आजमायें।

काम का है पीपल

काम का है पीपल
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अल्जाइमर से जूझ रहे लोगों के लिए एक शोध से उम्मीद जगी है। उनके शोध में यह बात सामने आई कि अल्जाइमर के एन्जाइम की गतिशीलता को रोकने में पीपल काफी मददगार हो सकता है। पीपल के तने से लिये गए टिश्यू का लेबोरेटरी ट्रायल इसके समर्थन में रहा। गौरतलब है कि यह शोध चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय के बायो टेक विभाग ने पीपल के पेड़ की मेडिसन प्रापर्टी पर किया गया।

दिमाग के लिए हल्दी

दिमाग के लिए हल्दी
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हल्दी में मिलने वाले करक्यूमिन को नैनोतकनीक से नैनो-पार्टिकल में एनकैप्सूलेट कर अल्जाइमर का प्रभावी इलाज में मददगार हो सकते हैं। हल्दी में पाए जाने वाले प्राकृतिक तत्व करक्यूमिन के नैनो पार्टिकल के रूप में उपयोग से अल्जाइमर का इलाज हो सकता है। नैनो साइज के चलते हल्दी में मौजूद  करक्यूमिन कंपाउंड को दिमाग तक आसानी से पहुंचाया जा सकेगा। वहीं दूसरी ओर याददाश्त बनाए रखने के लिए आवश्यक न्यूरोन्स के रिजनरेशन में भी यह खोज प्रभावी हो सकती। गौरतलब है, यह खोज आईआईटीआर के निदेशक डॉ. कैलाश चंद गुप्ता और साइंटिस्ट डॉ. रजनीश कुमार चतुर्वेदी की टीम ने की है।

अरोमा थेरेपी

अरोमा थेरेपी
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अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी कुछ मानसिक बीमारियों से बचाव में अरोमा थेरेपी काफी कारगर साबित हो सकती है। चूंकि अरोमा थेरेपी तनाव कम करती है, इसलिए इन रोगों से ग्रस्त लोगों को इस थैरेपी से काफी आराम होता है। कुछ मामलों में यह भी देखा गया कि अरोमा थेरेपी दिमाग तेज करने व भूली हुई यादों को वापस लाने में भी साहयक होती है। इसे भी पढ़ें : याद्दाश्‍त खोना ही नहीं, ये 9 लक्षण भी हैं अल्‍जाइमर के संकेत

बड़े काम का है टमाटर

बड़े काम का है टमाटर
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40 साल की आयु के बाद कोलेस्ट्रॉल का स्तर बिगड़ने से लेकर बीपी बढ़ने या घटने आदि समस्याएं होने की आशंका बढ़ जाती हैं। साथ ही इस आयु के बाद हृदय रोग और मधुमेह की भी आशंका बढ़ती है। एक शोध के अनुसार, 40 की आयु पार कर जाने के बाद अपने भोजन में बादाम, टमाटर, मछली आदि को नियमित रूप से शामिल करना चाहिए। शोध में यह भी पाया गया कि 20 मिनट की एक्सरसाइज के बाद 150 मिलीग्राम टमाटर का जूस पीने से कैंसर से भी बचाव होता है, दिल दुरुस्त रहता है और कई अन्य बीमारियां भी नियंत्रित होती हैं।

इन चीजों से बचें

इन चीजों से बचें
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अलजाइमर व ऐसे अन्य रोगों व इनके कारकों से बचने के लिये वजन न बढ़ने दें, धूम्रपान न करें, शराब का सेवन न करें। इसका अलावा ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रिण में रखकर भी इस खतरे से बचा जा सकता है। साथ ही सिर पर किसी तरह की चोट लगने से भी खुद को बचाएं। इसे भी पढ़ें : अंधेरे में यूज करते हैं स्मार्टफोन, तो हो सकती है ये बीमारी

मारिजुआना

मारिजुआना
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दक्षिण फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी में न्यूरोसाइंस के विशेषज्ञों ने एक अध्ययन में पाया कि मारिजुआना अल्‍जाइमर रोग से बचाव में काम आ सकती है। "जर्नल ऑफ अल्जाइमर डीज़ीज" में प्रकाशित एक लेख में से ये सूचना मिली। हालांकि इस संबंध में शोधकर्ताओं के भिन्न मत हैं।

घबराएं नहीं

घबराएं नहीं
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अल्जाइमर रोगियों के मस्तिष्क में एसिटाइल कोलिन की मात्र कम पाई जाती है। इसलिए वे दवाएं दी जाती हैं जिससे मस्तिष्क में एसिटाइल कोलिन का स्तर नियंत्रित में रहे। अतः इस रोग के बारे में जितनी जल्दी पता चले, इसका उपचार भी उतना ही आसान होता है।

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