गर्भावधि मधुमेह

गर्भकालीन मधुमेह (gestational diabetes)एक प्रकार का मधुमेह (diabetes in hindi)है, जो गर्भवती महिलाओं को होता है। ध्यान रहे कि इन महिलाओं को गर्भवती होने से पहले डायबिटीज नहीं होता है, बल्कि गर्भावस्था के दौरान होता है। कुछ महिलाओं में गर्भकालीन मधुमेह (जेस्टेशनल डायबिटीज) हर प्रेग्नेंसी के दौरान होता है। पर आमतौर पर गर्भकालीन मधुमेह गर्भावस्था के बीच में होता है। मेंदाता की चीफ न्यूट्रिशनिस्ट, सर्टिफाइड डायबिटीज एजुकेटर शुभदा भानोट की मानें, तो आमतौर महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज गर्भावस्था के 24 सप्ताह के बीच में होता है। 

गर्भावधि मधुमेह के कारण-Gestational Diabetes Causes

जब आप खाते हैं, तो आपकी पेनक्रियाज इंसुलिन जारी करता है, जो कि एक ऐसा हार्मोन है जो आपके ब्लड से ग्लूकोज नामक शुगर को आपकी कोशिकाओं में स्थानांतरित करने में मदद करता है, जो इसे ऊर्जा के लिए उपयोग करते हैं। पर गर्भावस्था के दौरान, आपका नाल हार्मोन बनाता है जो आपके ब्लड में ग्लूकोज का निर्माण करता है। आमतौर पर, आपकी पेनक्रियाज  इसे संभालने के लिए पर्याप्त इंसुलिन भेज सकती है। लेकिन अगर आपका शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है या इंसुलिन का उपयोग बंद कर देता है, तो आपके ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है, और आपको गर्भकालीन मधुमेह हो जाता है।

गर्भावधि मधुमेह के लक्षण-Gestational Diabetes Symptoms

गर्भावधि मधुमेह से पीड़ित महिलाओं में आमतौर पर कोई खास लक्षण नहीं नजर आ पाता है। अधिकांश महिलाओं को इसका पता नियमित स्क्रीनिंग के दौरान डॉक्टरों से पता चलता है। इसमें व्यक्ति में तमाम लक्षण नजर आते हैं। जैसे कि

  • - सामान्य से अधिक प्यास लगाना
  • -ज्यादा भूख लगना
  • - सामान्य से अधिक पेशाब आना
    • गर्भकालीन मधुमेह से जुड़े खतरे -Gestational Diabetes Risk Factors

      गर्भकालीन मधुमेह वाली महिला में अगर ब्लड शुगर को अच्छी तरह से नियंत्रित नहीं किया जाता है, तो गर्भवती महिला और बच्चे को कई परेशानियां हो सकती है:

      1. बड़े शरीर वाला बेबी होना (मैक्रोसोमिया)

      प्रग्नेंसी के दौरान अगर डायबिटीज को सही ढंग से मैनेज नहीं किया जाका उसके कारण बच्चे का ब्लड शुगर अधिक होता है। बच्चा ओवरफीड होने के कारण अतिरिक्त बड़ा हो जाता है। गर्भावस्था के आखिरी कुछ महीनों के दौरान महिला को असुविधा होने के अलावा, एक ज्यादा बड़ा बेबी मां और बच्चे दोनों के लिए प्रसव के दौरान समस्याएं पैदा कर सकता है। बच्चे को जन्म देने के लिए मां को सी-सेक्शन की आवश्यकता हो सकती है। प्रसव के दौरान कंधे पर दबाव के कारण बच्चे को तंत्रिका क्षति भी हो सकती है। 

      2. सी-सेक्शन (सिजेरियन सेक्शन)

      सी-सेक्शन मां के पेट से बच्चे की डिलीवरी कराने एक ऑपरेशन है। एक महिला जिसे मधुमेह है, जिसे अच्छी तरह से नियंत्रित नहीं किया गया है, उसे डिलीवरी के लिए सी-सेक्शन की आवश्यकता पड़ सकती है। जब बच्चा सी-सेक्शन द्वारा होता है, तो महिलाओं को प्रसव से उबरने में  समय लग सकता है।

      3. हाई ब्लड प्रेशर (प्रीक्लेम्पसिया)

      जब एक गर्भवती महिला को हाई ब्लड प्रेशर, पेशाब में प्रोटीन, और पैर की उंगलियों में सूजन होती है, तो उसे प्रीक्लेम्पसिया हो सकता है। यह एक गंभीर समस्या है जिसमें महिलाओं को इलाज की जरूरत होती है। हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित महिला और उसके अजन्मे बच्चे दोनों को नुकसान पहुंच सकता है। इससे बच्चे का जन्म जल्दी हो सकता है और प्रसव के दौरान महिला में दौरे या स्ट्रोक (खून का थक्का या मस्तिष्क में खून आना) हो सकता है। डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं में बिना डायबिटीज वाली महिलाओं की तुलना में हाई ब्लड प्रेशर अधिक होता है।

      4. लो ब्लड शुगर (हाइपोग्लाइसीमिया)

      मधुमेह वाले लोग जो इंसुलिन या अन्य मधुमेह की दवाएं लेते हैं, उन्हें लो ब्लड शुगर की परेशानी भी हो सकती है। कम ब्लड शुगर भी बहुत गंभीर हो सकता है और यहां तक कि घातक भी। इसलिए अगर गर्भावस्था के दौरान अगर लो ब्लड शुगर लगातार रहता है, तो अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए।  अगर गर्भावस्था के दौरान  महिला में डायबिटीज को नियंत्रित नहीं किया गया, तो  बच्चा जन्म के बाद बहुत कम लो ब्लड शुगर के खतरों के साथ पैदा हो सकता है।

      गर्भावधि मधुमेह से पीड़ित महिलाओं के लिए टिप्स- Tips for Women with Gestational Diabetes

      1. नियमित रूप से एक्सरसाइज करें-Exercise Regularly

      एक्सरसाइज ब्लड शुगर को नियंत्रण रखने का एक खास उपाय है। यह भोजन के सेवन को संतुलित करने में मदद करता है। अपने डॉक्टर से जांच के बाद, आप गर्भावस्था के दौरान और बाद में नियमित रूप से एक्सरसाइज करें। सप्ताह में कम से कम पांच दिन मध्यम-तीव्रता वाली कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि करें। जैसे तेज चलना, स्विमिंग, या सक्रिय रूप से बच्चों के साथ खेलना आदि। ये तमाम चीजें  जेस्टेशनल डायबिटीज को कम करता है।

      2. हेल्दी फूड्स खाएं-Healthy foods

      अगर किसी महिला को जेस्टेशनल डायबिटीज की परेशानी है, तो हेल्दी फूड्स खाएं। आहार विशेषज्ञ आपको एक हेल्दी डाइट प्लॉन बनाने में मदद कर सकते हैं। साथ ही खाने में फाइबर, प्रोटीन और हेल्दी फल और सब्जियों का सेवन करें। स्वस्थ, कम शुगर वाला आहार लें।

      • -फलों, गाजर, और किशमिश जैसे प्राकृतिक शुगर का सेवन करें।
      • - कुकीज, कैंडी, और आइसक्रीम जैसे चीनी वाले स्नैक्स को खाने से बचें।
      • - सब्जियां और साबुत अनाज खाने से बचें।
      • -हर दिन एक ही समय में दो या तीन स्नैक्स के साथ छोटे भोजन लें।
      • -अपने दैनिक कैलोरी का 40% कार्ब्स से और 20% प्रोटीन से प्राप्त करें। 
        • खाद्य पदार्थ जैसे कि साबुत अनाज की ब्रेड, अनाज और पास्ता, चावल, दलिया, सब्जियां और फलों का सेवन करें। फैट के सेवन को सीमित करें। सुनिश्चित करें कि आप पर्याप्त मात्रा में विटामिन और खनिज प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों का सेवन करें।

          3. ब्लड शुगर चेक करते रहें - Check your blood sugar

          गर्भावस्था के कारण शरीर को ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जिससे ब्लड शुगर के स्तर बहुत जल्दी बदल सकता है। अपने डॉक्टर द्वारा निर्देशित के रूप में रेगुलर ब्लड शुगर की जांच करें। अगर आपको लगता है कि आपको कोई परेशानी हो रही है, तो डॉक्टर से इस बारे में बात करें।

          4. जरूरत हो, तो इंसुलिन लें

          कभी-कभी गर्भावधि मधुमेह वाली महिला को इंसुलिन लेना चाहिए। अगर आपके डॉक्टर द्वारा इंसुलिन लेने का सुझाव देते हैं, तो ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखने के लिए इसे जरूर लें। साथ ही ध्यान रखें कि गर्भावस्था के बाद डायबिटीज टेस्ट करवाते रहें।

          अपने बच्चे के जन्म के 6 से 12 सप्ताह बाद, और फिर हर 1 से 3 साल में डायबिटीज की जांच करवाएं। ज्यादातर महिलाओं में जेस्टेशनल डायबिटीज होती है, डिलीवरी के तुरंत बाद डायबिटीज दूर हो जाती है। अगर ये ठीक न हो, तो मधुमेह को टाइप 2 मधुमेह कहा जाता है। यहां तक कि अगर बच्चा पैदा होने के बाद भी डाबिटीज ठीक हो जाता है, तो उनमें बाद में टाइप 2 मधुमेह विकसित हो सकता है। यह एक महिला के लिए ध्यान में रखने वाली सबसे जरूरी बात है।  साथ ही जिन महिलाओं को पहली प्रेग्नेंसी के गर्भावधि मधुमेह था, उन्हें ये बाकी प्रेग्नेंसी में भी हो सकता है।

          गर्भकालीन मधुमेह से बचाव के उपाय-Gestational Diabetes Prevention Tips

          गर्भकालीन मधुमेह से बचाव के लिए जरूरी है कि आप अपने प्रग्नेंसी के दौरान या इससे पहले कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें। जैसे कि

          • -स्वस्थ आहार का सेवन करें
          • -एक्टिव रहें
          • -वजम संतुलित रखें
          • -स्ट्रेस और हाई बीपी का ध्यान रखें
            • महिलाओं को डॉक्टर से हर 1 से 3 साल में अपने ब्लड शुगर की जांच करवानी चाहिए, खास कर उन महिलाओं को जिनका वजन ज्यादा रहता है। इसके अलावा जिन महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान  गर्भकालीन मधुमेह उन्हें हर साल अपना डायबिटीज चेक करवाना चाहिए। तो, गर्भकालीन मधुमेह (gestational diabetes) से जुड़ी तमाम जानकारियों और एक्सपर्ट टिप्स के लिए पढ़ते रहें गर्भावधि मधुमेह : gestational-diabetes-in-hindi

              Source: American Diabetes Association

              National Institute of Diabetes and Digestive and Kidney Diseases