आईवीएफ ट्रीटमेंट को आसान बनाना है, तो रोज करें ये 5 योगासन

आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान अगर नियमित कुछ योगासान किए जाएं तो इससे महिला को बहुत ही फायदा मिलता है। पेश है, इन योग आसनों से जुड़ी जरूरी बातें।

Meera Tagore
Written by: Meera TagoreUpdated at: Jul 24, 2023 16:15 IST
आईवीएफ ट्रीटमेंट को आसान बनाना है, तो रोज करें ये 5 योगासन

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Yoga is helpul during Ivf treatment : आज अधिकतर लोग जानते हैं कि योगा नियमित करने से हमारी शारीरिक, मानसिक सेहत अच्छी रहती है। साथ ही कई तरह की बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है। लेकिन कुछ रिसर्च में पता चला है कि योगा, आईवीएफ ( इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) ट्रीटमेंट में भी बहुत मददगार साबित होता है। फर्टिलिटी एंड स्टेरिलिटी जर्नल में छपी एक स्टडी के अनुसार तो योगा करने से महिलाओं को फ्रोजन एंब्रियो ट्रांसफर के बाद अच्छा परिणाम मिलता है यानी उनके गर्भवती होने की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही योगा से आईवीएफ ट्रीटमेंट ले रही महिलाओं का भावनात्मक स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। इसके अलावा एक स्टडी के अनुसार योगा करने से तनाव कम होता है और तनाव के कम होने से आईवीएफ ट्रीटमेंट में मदद होती है। इसलिए अगर कोई महिला आईवीएफ ट्रीटमेंट करा रही है तो उसे डॉक्टर, योगा विशेषज्ञ की सलाह और देखरेख में कुछ खास तरह के योगासान जरूर करने चाहिए। आइए, इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि कौन-कौन से योगासन आईवीएफ में मददगार होते हैं।

शवासन

benefits of yoga for ivf treatment

इस आसन को करने के लिए मैट पर पीठ के बल लेट जाएं। दोनों पैरों को फैला दें और इनके बीच डेढ़ फुट का गैप रखें। दोनों हाथों को भी शरीर से छह इंच की दूरी पर रखें। इस दौरान हथेली ऊपर की तरफ रहनी चाहिए। अब शरीर को ढीला छोड़ दें और आंखें बंद कर लें। इस दौरान बिल्कुल भी हिलना नहीं है। इसके बाद गहरी सांस भरें और सांस छोड़ते हुए ऐसा महसूस करें कि शरीर हल्का महसूस कर रहा है। इस दौरान 10 से 1 तक उल्टी गिनती भी गिन सकते हैं या बिल्कुल शांत भी रह सकते हैं। शवासन को कम से कम एक या दो मिनट तक जरूर करें। अगर समय बढ़ा पाएं तो और भी अच्छा परिणाम मिलेगा। शवासन को करने से मन शांत होता है, थकान दूर होती है। ऐसा होने पर तनाव भी कम होने लगता है। इसलिए शवासन का अभ्यास भी आईवीएफ ट्रीटमेंट में कारगर पाया जाता है।

बालासन

इस आसन को करने के लिए किसी शांत जगह पर मैट बिछाकर बैठ जाएं। दोनों टांगों को घुटनों से मोड़कर पैरों को पीछे की तरफ रखें और एड़ियों पर बैठ जाएं। कमर, गर्दन को सीधा रखें, हाथों को सीधा रखें और सांस छोड़ते हुए कमर से आगे की तरफ झुकते जाएं, पेट और छाती जांघों की तरफ लेकर जाएं और माथे को जमीन पर रख दें। कंधों को हल्का छोड़ दें और अपना ध्यान सांसों पर रखें। इस आसन में लगभग 30 सेकेंड तक रहें। बाद में आसन की समय सीमा बढ़ा दें, बालासन को लगभग 3 मिनट तक भी कर सकते हैं। इस आसन को करने से भी तनाव दूर होता है, अच्छी नींद आती है और मन शांत रहता है।

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भ्रामरी प्राणायाम 

भ्रामरी प्राणायाम आसन को करने के लिए घर में किसी शांत जगह पर योगा मैट बिछाकर बैठ जाएं। मैट पर सुखासन में बैठें। इसके बाद दोनों हाथों को मोड़कर कानों के पास लाएं और अंगूठों से कान बंद कर लें। दो अगुंली को भौहों से थोड़ा ऊपर रखें और बाकी अंगुलियों को आंखें बंद करके उन पर रख दें। साथ ही गर्दन को सीधा रखें। मुंह को बंद रखें। सामान्य तरीके सांस अंदर लें और मधुमक्खी जैसी आवाज करते हुए सांस को बाहर छोड़ दें। इस आसन को करते हुए एक बात का ध्यान रखें कि सांस अंदर लेने का समय 5 सेकेंड और सांस बाहर छोड़ने का वक्त 20 सेकेंड तक रहना चाहिए। भ्रामरी आसन को करने से तनाव कम होता है, नींद अच्छी आती है। साथ ही उच्च रक्तचाप भी कम होता है। डॉक्टर्स के अनुसार भी आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान महिलाओं को तनावमुक्त रहना चाहिए और अच्छी नींद लेनी चाहिए

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बद्धकोणासन

इस आसन को करने के लिए मैट पर दोनों पैरों को फैलाकर बैठ जाएं। अब सांस छोड़ते हुए घुटनों को मोड़कर दोनों पैरों की एड़ी, पंजे और तलवे को आपस में मिला लें। जांघों और घुटनों को ढीला छोड़ते हुए जमीन की तरफ लेकर जाएं और एड़ी, पंजों को जननांगों के पास लेकर आएं। अब दोनों हाथों की मदद से पैरों के मिले हुए पंजों को पकड़ लें, जिससे वह आपस में मिले रहेंगे। इसके बाद पीठ और गर्दन को सीधा रखते हुए सांस को सहज रखें। आंखों को बंद करें। इस आसन में कम से कम 10 मिनट तक बने रहें। इस आसन को करने से पीठ में रक्तसंचार बढ़ता है और यूरीन ट्रैक से जुड़े रोग भी नहीं होते हैं। आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान भी शरीर में रक्तसंचार सही रहना चाहिए और किसी तरह का इंफेक्शन भी नहीं होना चाहिए। इसलिए बद्धकोणासन काफी लाभकारी साबित होता है

पश्चिमोत्तानासन

मैट बिछाकर पैरों को सीधा फैलाकर बैठ जाएं। दोनों पैरों को आपस में मिलाकर ही रखें। गर्दन, रीढ़ की हड्डी को बिल्कुल सीधा रखें। इसके बाद अपने सिर को आगे की ओर झुकाएं और हाथों की अंगुलियों से पैरों की अंगुलियों को पकड़ने की कोशिश करें, इस दौरान घुटनों को मोड़ना नहीं है। अब गहरी सांस लें, धीरे से सांस को छोड़ दें। इस स्थिति में आपका माथा, आपके घुटनों को छू ले तो अच्छा रहेगा। साथ ही कोहनियां भी जमीन को छूनी चाहिए। इसके बाद सांस को पूरी तरह से छोड़ दें और इस आसन में थोड़ी देर तक बने रहें। इस आसन को 3 या 4 बार करें। साथ ही एक बात का ध्यान रखें कि यह आसन आपको खाली पेट करना है। पश्चिमोत्तानासन को नियमित करने से शरीर को ऊर्जा मिलती है, जिससे स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

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