योग करेंगे तो नहीं रहेगा बुढ़ापे में अल्जाइमर रोग का खतरा, जानें इसके लक्षण और 4 फायदेमंद योगासन

अल्जाइमर रोग को बूढ़ों की बीमारी मानकर गलती न करें। अगर आप युवावस्था से रोजाना एक्सरसाइज या योगासन करते हैं, तो आपको अल्जाइमर रोग का खतरा कम होता है। जानें कौन से योगासन हैं इस रोग से बचाने में मददगार।

Anurag Anubhav
Written by: Anurag AnubhavUpdated at: Oct 18, 2019 16:11 IST
योग करेंगे तो नहीं रहेगा बुढ़ापे में अल्जाइमर रोग का खतरा, जानें इसके लक्षण और 4 फायदेमंद योगासन

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अल्जाइमर एक ऐसा रोग है, जिसमें व्यक्ति की याददाश्त कमजोर हो जाती है और वो चीजों को भूलना शुरू कर देता है। आमतौर पर छोटी-मोटी चीजें हम सभी कई बार भूल जाते हैं। मगर अल्जाइमर का रोगी कई बार परिचित के नाम, शक्ल, घर का रास्ता, दरवाजे में ताला बंद करना, दवा खाना, फोन नंबर आदि जरूरी बातें भूल जाता है। हालांकि इस रोग की शुरुआत छोटी-छोटी चीजों को भूलने से ही होती है। दरअसल अल्जाइमर होने पर व्यक्ति की मस्तिष्क कोशिकाएं कठोर होने लगती हैं, जिसके कारण उसकी स्मृतियां धीरे-धीरे लुप्त होने लगती हैं। कई बार ये बीमारी शारीरिक अक्षमता (Physical Disability) का भी कारण बन सकती है।

चिकित्सकों को अब तक अल्जाइमर रोग के कारणों का पता नहीं चल सका है। मगर रिसर्च बताती हैं कि अगर आप फिजिकल रूप से एक्टिव रहें और रोजाना थोड़ा एक्सरसाइज करें, तो आपको अल्जाइमर का खतरा कम होता है। आइए हम आपको बताते हैं अल्जाइमर रोग के कुछ शुरुआती संकेत और इससे बचाव के लिए कुछ आसान योगासन, जिनका अभ्यास आप घर पर सकते हैं।

अल्‍जाइमर के शुरुआती संकेत

अल्‍जाइमर रोग की प्रारम्भिक अवस्था से गुजर रहे व्यक्ति आमतौर पर बिना सहायता के खा सकते हैं, नहा सकते हैं, कपड़े पहन सकते हैं और तैयार हो सकते हैं। दो तिहाई लोगों में मनोवैज्ञानिक समस्याएं जैसे व्यक्तित्व में बदलाव होना, चिड़चिड़ापन, तनाव और दबाब विकसित हो जाता है। जब निदान से पूर्व इस तरह के लक्षण प्रकट होते हैं तो परिवार के सदस्यों और दोस्तों के साथ सम्बन्ध तनावपूर्ण बन सकते हैं।

जैसे-जैसे अल्‍जाइमर रोग अपनी मध्य और अंतिम अवस्थाओं की ओर बढ़ता है तो पीड़ित व्यक्ति को दृष्टिभ्रम (मिथ्या भ्रम, जैसे उसका पीछा किया जा रहा है, या उसका सामान चोरी हो गया है ) और मतिभ्रम (जैसे कुछ देखना, सुनना, सूंघना, चखना या किसी चीज़ का स्पर्श होना जो वास्तव में वहां नहीं है) होने लगता है। व्यक्ति आक्रामक हो सकता है या अकेले छोड़ने पर घर से दूर भटक सकता है।

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अल्‍जाइमर से बचाव 

अल्‍जा़इमर रोग में शारीरिक और मानसिक रूप से सक्रिय रहने और उच्च शिक्षा स्तर से यह रोग विकसित होने का खतरा कम हो जाता है इसके अलावा नियमित व्यायाम करने और मैडीटेरेनियन आहार (मछली, जैतून का तेल, प्रचुर मात्र में सब्जियां) लेने से लक्षणों को टाला जा सकता है और इस रोग के विकास को धीमा किया जा सकता है।

संभावित अ‍वधि 

अल्‍जाइमर रोग लाइलाज है। एक बार निदान हो जाने के बाद, मानसिक कार्यों का सामान्यतः 3 से 20 वर्षों में (औसतन 10 वर्ष) पतन हो जाता है और अंत में रोगी की म्रत्यु हो जाती है।

पूर्वानुमान

अल्‍जाइमर रोग के उपचार के लिए कोई विशेष दवा नहीं है पर "कोलिन्सटीरेज" रोधक और "मीमेंटाइन" दैनिक कार्य करने की क्षमता को सुधार सकते हैं, व्यवहार समस्याओं को कम कर सकते हैं और एक स्वास्थ्य केंद्र की आवश्यकता को टाल सकते हैं।

अल्‍जाइमर से बचाव के लिए करें योग 

यूं तो योगा आपकी सेहत के लिए काफी फायदेमंद है लेकिन क्या आप जानते हैं अपनी याददाश्त दुरुस्त रखने के लिए भी योग का सहारा लिया जा सकता है।

प्राणायाम और ध्यान

प्राणायाम शरीर को स्वस्थ रखने के साथ आपके मस्तिष्क के लिए सर्वश्रेष्ठ दवा है। किसी समतल स्थान पर दरी या कंबल बिछाकर सुखासन की अवस्था में बैठकर नियमित रुप से रोज सुबह अनुलोम-विलोम करें और उसके बाद 10 मिनट तक ध्यान करें।

उष्ट्रासन

उष्ट्रासन से रीढ़ में से गुजरने वाली स्त्रायु कोशिकाओं में तनाव पैदा होता है। इसके चलते उनमें रक्त-संचार बढ़ जाता है। इससे याददाश्त तेज होती है। अगर आप रोज तीन मिनट भी इस आसन को करते हैं तो इससे आपको बहुत फायदा होता है।

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चक्रासन

चक्रासन मस्तिष्क की कोशिकाओं में खून का प्रवाह बढ़ाने का काम करता है। इससे खून मस्तिष्क की उन कोशिकाओं में भी पहुंचना शुरू हो जाता है, जहां यह पहले नहीं पहुंच पाता था।  निस्तेज कोशिकाओं में खून का प्रवाह होते ही मस्तिष्क की पीयूष ग्रंथि से निकलने वाला हार्मोन दिमाग की कार्यक्षमता को बढ़ाता है। इसका नियमित अभ्यास आंख, मस्तिष्क आदि में फायदेमंद होता है

त्राटक

पलक झपकाए बिना एकटक किसी भी बिंदु पर अपनी आंखें गड़ाए रखना त्राटक कहलाता है। त्राटक से मस्तिष्क के सुप्त केंद्र जाग्रत होने लगते हैं, जिससे याददाश्त में बढ़ोत्तरी होती है। याददाश्त का सीधा संबंध मन और उसकी एकाग्रता से है। मन की एकाग्रता में ही बुद्धि का पैनापन और याददाश्तर की मजबूती छुपी हुई होती है। त्राटक का नियमित अभ्यास एकाग्रता बढ़ाता है।    

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