एचआईवी क्या है- What Is HIV

एचआईवी क्‍या है- What Is HIV 

एचआईवी (ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस-Human immunodeficiency virus, HIV) एक वायरस है, जो कोशिकाओं पर हमला करता है, जो शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करता है, जिससे व्यक्ति अन्य संक्रमणों और बीमारियों की चपेट में आ जाता है। यह एचआईवी के साथ किसी व्यक्ति के कुछ शारीरिक तरल पदार्थों के संपर्क में फैलता है, सबसे ज्‍यादा असुरक्षित यौन संबंध के दौरान (एचआईवी को रोकने या इलाज के लिए कंडोम या एचआईवी दवा के बिना सेक्स), या इंजेक्शन दवा उपकरणों को साझा करने से एचआईवी प्रसारित होता है। 

यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाता है, तो एचआईवी रोग एड्स (एक्‍वायर्ड इम्युनोडिफीसिअन्सी सिंड्रोम) को जन्म दे सकता है।

मानव शरीर एचआईवी से मुक्त नहीं हो सकता है और एचआईवी का कोई प्रभावी इलाज भी मौजूद नहीं है। इसलिए, एक बार जब आपको एचआईवी होता है, तो यह जीवनभर आपके साथ रहता है। 

हालांकि, एचआईवी दवा (एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी या एआरटी) कहा जाता है, एचआईवी वाले लोग लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं और एचआईवी को अपने यौन सहयोगियों तक पहुंचाने से रोक सकते हैं। 

एचआईवी को पहली बार 1981 में पहचाना गया था। एचआईवी मानवता के लिए सबसे घातक बीमारी है, जो महामारी का कारण बन सकता है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के मुताबिक, साल 2018 के अंत में लगभग 37.9 मिलियन लोग एचआईवी के साथ जी रहे थे। इनमे से 79% का निदान किया गया था। 62% इलाज पर थे और 53% ने निरंतर उपचार के माध्यम से अपने एचआईवी स्तर को कम कर दिया था। 

एड्स क्या है- What Is AIDS

एड्स (AIDS) का पूरा नाम है 'एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम-Acquired immunodeficiency syndrome,AIDS' है। एड्स एचआईवी संक्रमण का अंतिम चरण है जो तब होता है जब वायरस के कारण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाती है। यह वायरस मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देता है। एड्स एचआईवी पॉजिटिव गर्भवती महिला से उसके बच्चों में फैलता है, असुरक्षित संबंध बनाने से फैलता और संक्रमित रक्त या संक्रमित सूई से फैलता है। एड्स की रोकथाम और लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 1 दिसंबर को विश्‍व एड्स दिवस (वर्ल्‍ड एड्स डे, World Aids Day) मनाया जाता है। 

अमेरिका में, एचआईवी वाले अधिकांश लोग एड्स का विकास नहीं करते हैं क्योंकि हर दिन एचआईवी दवा लेने से रोग की प्रगति रुक जाती है।

CD4+T सफेद रक्त कोशिकाएं (White Blood Cells) होती हैं जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। एचआईवी इन कोशिकाओं को खत्‍म कर देता है। हालांकि, एचआईवी का मतलब यह बिल्‍कुल भी नहीं है कि आपको एड्स है। एड्स, एचआईवी संक्रमण का तीसरा और अंतिम चरण होता है।

अमेरिकन हेल्‍थ डिपार्टमेंट के मुताबिक, एचआईवी दवा के बिना, एड्स वाले लोग आमतौर पर लगभग 3 साल तक जीवित रहते हैं। यदि एक बार जब किसी को कोई खतरनाक बीमारी हो जाती है तो उसका जीवन 1 साल तक कम हो जाता है। हालांकि, एचआईवी दवा अभी भी एचआईवी संक्रमण के इस स्तर पर लोगों की मदद कर सकती है। जो लोग एचआईवी होने के तुरंत बाद एआरटी लेने लगते हैं उनमें इसकी रोकथाम हो सकती है। इसीलिए एचआईवी की जांच महत्वपूर्ण है।

भारत में एचआईवी/एड्स की वर्तमान स्थिति

ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) और एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम (एड्स) को भारत में पहली बार 1986 में रिपोर्ट किया गया था। तब से, भारत एचआईवी पीड़ितों के लिए एचआईवी की रोकथाम, उपचार और देखभाल में एक लंबा सफर तय कर चुका है। लेकिन अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है।

2017 के यूएनएड्स के आंकड़ों के अनुसार, भारत में नए एचआईवी संक्रमण में 46% की कमी आई है, और 2010 से एड्स से संबंधित मौतों में 22% की कमी आई है। वयस्क आबादी में 0.26% एचआईवी की व्यापकता के साथ, भारत में अनुमानित 2.1 मिलियन लोग एचआईवी के साथ जी रहे हैं। 

भारत में एचआईवी से प्रभावित होने वाली प्रमुख आबादी सेक्स वर्कर, समलैंगिक पुरुष और अन्य पुरुष हैं जो पुरुषों के साथ यौन संबंध रखते हैं, जो लोग ड्रग्स इंजेक्ट करते हैं और ट्रांसजेंडर लोग। 

एचआईवी/एड्स के लक्षण- Symptoms Of HIV/AIDS

एचआईवी के लक्षण संक्रमण के चरण के आधार पर भिन्न होते हैं। इसके तीन चरण होते हैं। पहला- एक्‍यूट प्राइमरी इंफेक्‍शन, दूसरा- क्लिनिकल लेटेंसी / एसिम्प्टमैटिक एचआईवी / क्रोनिक एचआईवी और तीसरा व आखिरी चरण- एड्स है। हालांकि एचआईवी से पीड़ित लोग संक्रमित होने के बाद पहले कुछ महीनों में सबसे अधिक संक्रमित होते हैं, लेकिन कई लोग बाद की अवस्था तक अपनी स्थिति से अनजान होते हैं। प्राइमरी इंफेक्‍शन के बाद पहले कुछ हफ्तों में लोगों को बुखार या सिरदर्द, गले में खराश या गले में खराश जैसे कोई लक्षण या कोई इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी का अनुभव नहीं हो सकता है।

जैसा कि संक्रमण प्रगतिशील रूप से प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है, वे अन्य लक्षण विकसित कर सकते हैं, जैसे कि लिम्फ नोड्स में सूजन, वजन का कम होना, बुखार, दस्त और खांसी। उपचार के बिना, वे गंभीर बीमारियों जैसे कि तपेदिक (टीबी), क्रिप्टोकोकल मेनिन्जाइटिस, गंभीर जीवाणु संक्रमण और लिम्फोमास और सारकोमा जैसे कैंसर विकसित कर सकते हैं।

एचआईवी/एड्स का कारण- Transmission Causes Of HIV/AIDS

लोगों में एचआईवी का प्रसार, शरीर के अलग-अलग द्रव के माध्‍यम से फैलता है:

  • रक्त
  • वीर्य
  • योनि स्राव
  • गुदा तरल पदार्थ
  • ब्रेस्‍ट मिल्‍क 

असुरक्षित यौन संबंध एचआईवी के प्रसार का प्रमुख कारण है, इससे एड्स के वायरस एड्स ग्रस्त व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में तुरंत प्रवेश कर जाते हैं। संक्रमित खून बिना जांच के किसी स्‍वस्‍थ व्‍यक्ति को चढ़ाने पर भी फैलता है। ड्रग्‍स या नशीला पदार्थ को शेयर करने वाले भी एचआईवी संक्रमित हो सकते हैं या उन्‍हें एड्स हो सकता है। इसके अलावा, एचआईवी के साथ रहने वाली एक महिला जो गर्भवती है या जिसने हाल ही में शिशु को जन्म दिया है, वह अपने बच्चे को गर्भावस्था, प्रसव या स्तनपान के दौरान बीमारी को स्थानांतरित कर सकती है।

एचआईवी/एड्स का इलाज- Treatment Of HIV/AIDS

एंटीरिट्रोवायरल थेरेपी या आर्ट (ART) 1996 में सामने आई। दुनिया भर में ऐसा माना जाता है कि यह तकनीक इस बीमारी से जल्दे होने वाली मौत को रोक सकती है। एआरटी की वजह से इस बीमारी से संक्रमित लोगों की जीवनशैली में बेहद सकारात्महक परिवर्तन आया है। अगर एचआईवी संक्रमित साथी आर्ट के जरिए अपना इलाज करवा रहा है तो इससे उसके स्‍वस्‍थ साथी को यह वायरस पहुंचने की संभावना भी कम हो जाती है। निम्न और मध्यम आय वर्ग के देशों में करीब 80 लाख एचआईवी संक्रमित लोग एआरटी के जरिए इलाज करवा रहे हैं।

एचआईवी/एड्स से संबंधित जटिलताएं- Risk Factors Of HIV/AIDS

कैंडिडिआसिस, जीनस कैंडिडा में होने वाली यीस्टल संक्रमण है, और गंभीर मामलों में ये घेघा, श्वासनली, ब्रांकाई, और फेफड़ों के ऊतकों को प्रभावित कर सकता है।कोक्कीडडियोडोमाईकासिस कोक्कीसडियोडस द्वारा होने वाला संक्रमण है, जो कभी-कभी निमोनिया का कारण भी बन सकता है।
क्रीप्टोकॉकसिस फंगस क्रीप्टोकॉकस नोफॉर्मन्स से होने वाला संक्रमण है, यह त्वेचा हड्डि यों और यूरीन मार्ग में फैलने से पहले फेफड़ों (निमोनिया का कारण) और ब्रेन (सूजन का कारण), को प्रभावित करता है।
क्रिप्टोस्पोरिडियोसिस, प्रोटोजोआ परजीवी क्रिप्टोस्पोरिडियम के कारण होने वाला रोग है। यह संक्रमण और डायरिया रोग का कारण बनता है। 
हरपीज सिंप्लेक्स वायरस संक्रमण है, जो ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, और ग्रासनलीशोथ (Esophagitis) की समस्या का कारण बनता है।
हिस्टोप्लास्मोसिस, फंगस हिस्टोप्लाज्मि कॅप्सुलटूम से होने वाला लंग इंफेक्शीन है, जो फ्लू और निमोनिया के लक्षणों की तरह प्रगतिशील हिस्टोप्लास्मोसिस का कारण बनता है, यह बीमारी अन्यो अंगों को भी प्रभावित कर सकती है।
सेप्टीसीमिया (रक्त संक्रमण) बैक्टीरिया साल्मोनेला से होता है।

एचआईवी/एड्स को फैलने से रोकें- How To Prevent HIV/AIDS 

एचआईवी पॉजिटिव होने पर शरीर की प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है और शरीर पर तरह तरह की बीमारियां और इन्फेक्शन पैदा करने वाले वायरस अटैक करने लगते हैं। अगर आप इसकी चपेट में आने से बचना चाहते हो तो इसे रोकने के उपायों के बारे में जरुर जानकारी हासिल करें। 

सबसे पहले अपने साथी के साथ वफादार रहें। यह हमेशा अच्छा होता है। अपने जीवनसाथी के प्रति हमेशा वफादार रहें। बिना प्रोटेक्शन के अलग-अलग पार्टनर के साथ शारीरिक संबंध बनाने से यह संक्रमण तेजी से फैलता है। 

संक्रमित खून चढ़ाने के कारण एड्स होने के मामले लगभग 2.57 प्रतिशत हैं। इसलिए किसी भी तरह का इंजेक्शन लगवाने से पहले ये सुनिश्चित कर लें कि सुई नयी हो, वरना खून से भी एड्स फैल सकता है। 

यदि कोई व्‍यक्ति एचआईवी संक्रमित या एड्स से ग्रसित है तो उसे रक्तदान कभी ना करें। ज्यादातर मामलों में एचआईवी इन्फेक्शन का पता दो हफ्ते के बाद टेस्ट कराने पर ही पता चल पाता है उससे पहले नहीं। कई मामलों तो इसमें छह महीने भी लग जाते हैं। एचआईवी को शरीर में एक्टिव होने में छह महीने तक लग सकते हैं। इसलिए तीसरे और छठें महीने बाद एक बार फिर एचआईवी परीक्षण अवश्य कराएं। 

यूएस हेल्थ एंड सर्विस डिपार्टमेंट के अनुसार, मां के दूध में भी एचआईवी वाइरस हो सकते हैं इसलिये यदि किसी को एड्स हो गया है तो उसे बच्चे को स्तनपान नहीं करवाना चाहिए। इसके लिए एचआईवी पॉजिटिव माताएं बच्चे को अपना दूध न पिलाकर तथा एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी के उपयोग से बच्चे के संक्रमित होने के जोखिम को कम कर सकती है।

एचआईवी/एड्स से बचने की आयुर्वेदिक टिप्स

  1. एड्स के लिए आयुर्वेदिक उपचार के साथ-साथ, पौष्टिक आहार, व्यायाम और योगा, अवसरवादी संक्रमण के लिए समय पर एलोपेथिक उपचार और नियमित रूप से परामर्श लेना एड्स के रोगियों के प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण हैं। एचआईवी/एड्स के उपचार के लिए आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली जड़ी बूटी में, आंवला, अश्वगंधा, और तुलसी है। आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग रोगियो में एड्स के वायरस को खत्म करने, इम्यून डेवलपर, या शरीर को साफ करने के लिए किया जा सकता है।
  2. वायरस किलर के रूप में आयुर्वेदिक दवाएं: विभिन्न आयुर्वेदिक दवाइयां जैसे कि ऐरी चथुरा, त्रिफला, सक्षमा त्रिफला शक्तिशाली वायरस किलर है जो एचआईवी वायरस को भी मार सकते है। ये दवाएं संयुक्त हो सकती है या एलोपेथिक दवाओं के साथ इस्तेमाल में लाई जा सकती है।
  3. इम्यून डेवलपर्स के रूप में आयुर्वेदिक दवा: ये आयुर्वेदिक दवाएं इम्यूनिटी को बढ़ाती है, सीडी4 सेल के साथ साथ सीडी8 कोशिका को भी एचआईवी से लड़ने के लिए जाना जाता है। च्यवनप्राश, अश्वगंधा रसायन, अजमामसा रसायन, कनमाड़ा रसायन, शोनिथा बस्कारा अरिश्ठा ऐसी दवाए है जो कि प्रतिरक्षा को बढ़ावा देती है।
  4. शारीरिक क्लींजर के रूप में आयुर्वेदिक दवा: इन आयुर्वेदिक दवाओं शरीर को साफ करने, नसों, यहां तक कि कोशिकाओं को साफ करती है। शोनीथा बस्कारा अरिष्ठा, ननार्य अरिष्ठा, क्शीरा बाला कुछ आयुर्वेदिक दवाएं है जोकि प्रतिऱक्षा को बढ़ाती है और बॉडी क्लींजर के रूप में कार्य करती है।
  5. आयुर्वेद के साथ सावधानीः आयु्र्वेदिक दवाएं एचआईवी/एड्स के रोगियों के उपचार में उपयोगी है लेकिन ये दवाएं पूरी तरह से इलाज नही कर सकती। एंटीरिट्रोवाइरल औषधियां के विपरित वे जल्दी असर नही दिखाती है। कुछ आयुर्वेदिक दवाएं आपके एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी से सबंधित हो सकती है। आयुर्वेदिक दवाओं के चयन से पहले अपने डॉ. से पूछे बिना एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी लेना बंद न करें।

एचआईवी/एड्स में क्‍या खाएं

समस्‍या कोई भी हो मगर खानपान अच्‍छा होना चाहिए। हालांकि, एचआईवी या एड्स को भोजन के माध्‍यम से ठीक नहीं किया जा सकता है मगर इस वायरस से शरीर की कमजोर हो चुकी प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखा जा सकता है। एड्स के मरीजों को यह सब खाने की सलाह दी जाती है:

  • विटामिन, फाइबर और मिनरल्स युक्‍त फल और सब्जियां।
  • स्टार्च युक्त कार्बोहाइड्रेट्स जैसे आलू, रोटी और ब्राउन राइस।
  • आप प्रोटीन भी ले सकते हैं जिसमें वसा न हो जैसे- मीट, मछली, अंडे और फलियां।
  • इसके अलावा कुछ डेयरी प्रोडक्‍ट जैसे दूध, दही और पनीर।
  • फैट और बिना शुगर वाला खाना। 

HIV एड्स और कोरोना वायरस 

COVID-19 को लेकर लगातार वैज्ञानिक और शोधकर्ता नए-नए शोध कर रहे हैं। पर अगर बात HIV एड्स के मरीजों पर कोरोना वायरस संक्रमण की करें, तो फिलहाल कोई शोध या ठोस जानकारी हमारे सामने नहीं आई है। पर सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल और प्रिवेंशन की मानें, तो एचआईवी के मरीजों को COVID-19 से उतना ही खतरा है, जितना कि उन लोगों को जिन्हें एचआईवी नहीं है। वृद्ध वयस्कों और किसी भी उम्र के लोग जिन्हें एचआईवी एड्स है, उनका इम्यून सिस्टम कमजोर है और उन्हें कोरोना संक्रमण होने का खतरा ज्यादा है। जैसे कि:

  • कम CD4 सेल काउंट वाले लोग
  • वो लोग जो एचआईवी उपचार (एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी या एआरटी) को नहीं ले रहे हैं, उन्हें भी कोरोना का खतरा ज्यादा है।
ऐसे में जब COVID-19 को रोकने के लिए कोई टीका नहीं है इसलिए बीमार होने से बचने का सबसे अच्छा तरीका, वायरस के संपर्क से बचना है। COVID-19 के प्रसार को रोकने के लिए एचआईवी से पीड़ित लोगों को हर रोज इससे बचाव का तरीका अपनाना चाहिए। जैसे कि
  • अगर आपको एचआईवी है और आप अपनी एचआईवी दवा ले रहे हैं, तो अपना उपचार जारी रखें और अपने डॉक्टर की सलाह का पालन करते रहें।
  • एचआईवी वाले लोगों को भी स्वस्थ जीवन शैली का पालन करना चाहिए। इसके लिए हेल्दी डाइट लें, कम से कम 8 घंटे की नींद पूरी करें और जितना हो सके उतना तनाव को कम करें। इस तरह स्वस्थ रहने से आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को संक्रमण से लड़ने में मदद मिलेगी।

  • https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/hiv-aids
  • https://www.hiv.gov/hiv-basics/overview/about-hiv-and-aids/what-are-hiv-and-aids
  • https://www.cdc.gov/coronavirus/2019-ncov/need-extra-precautions/hiv.html