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36th Week Pregnancy: प्रेग्नेंसी के 36वें सप्ताह के लक्षण, सावधानियां और जरूरी बातें

36 सप्ताह की गर्भावस्था के दौरान शिशु के विकास, गर्भावस्था के लक्षण, परीक्षण के बारे में जानने के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें-

 
Vikas Arya
Written by: Vikas AryaUpdated at: Sep 08, 2023 10:00 IST
36th Week Pregnancy: प्रेग्नेंसी के 36वें सप्ताह के लक्षण, सावधानियां और जरूरी बातें

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प्रेग्नेंसी के 36वें सप्ताह में महिलाओं का डिलीवरी समय नजदीक आ चुका होता है। इस समय तक गर्भ में पल रहे शिशु का सिर नीचे व मुंह मां की रीढ़ की हड्डी की ओर हो जाता है। इस समय शिशु के नाखून तेजी से बढ़ते हैं और वह जल्द ही डिलीवरी के लिए तैयार हो रहा होता है। स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. विभा बंसल से आगे जानते हैं प्रेग्नेंसी के 36वें सप्ताह में महिलाओं को महसूस होने वाले लक्षण व इस तरह भ्रूण के विकास के बारे में। 

प्रेग्नेंसी के 36वें सप्ताह में महिलाओं में दिखने लक्षण - 36th Week Of Pregnancy Symptoms in Hindi

प्रेग्नेंसी के 36वें सप्ताह में महिलाएं 9वें माह में प्रवेश करती हैं। प्रेग्नेंसी के 36वें से 40वें सप्ताह के बीच में किसी भी समय बच्चा जन्म ले सकता है। इस समय महिलाओं को कई तरह के शारीरिक बदलावों को महसूस करना पड़ता है। 36वें सप्ताह में महिलाओं के स्तनों से कोलोस्ट्रम नामक तरल (पहला दूध) निकलता है। ये एक सामान्य स्थिति है, दरअसल इस समय महिलाओं का शरीर बच्चे के जन्म के लिए तैयार हो रहा होता है। आगे जानते हैं प्रेग्नेंसी के 36वें सप्ताह में महिलाओं को महसूस होने वाले लक्षण। 

चक्कर आना 

कार्डियोवैस्कुलर में बदलाव की वजह प्रेग्नेंसी में महिलाओं को चक्ककर आने की समस्या होती है। इस समय महिलाओं के शरीर में रक्त 30 से 40 फीसदी बढ़ जाता है। इसके साथ ही उनका हार्ट पहले की अपेक्षा अधिक पंप करने लगता है, जिससे उनका हार्ट रेट भी बढ़ जाती है। इसके समय गर्भ में पल रहे बच्चे के वजन के बढ़ने की वजह से गर्भाशय में दबाव पड़ने और शरीर के निचले हिस्से पर रक्त प्रवाह प्रभावित होने की वजह से महिलाओं के ब्रेन में कभी रक्त तेजी से पहुंचता है तो कभी इसकी पहुंचने की गति में धीमापन आ जाता है। इस वजह से महिलाओं को चक्कर आने लगते हैं। कई बार कुछ महिलाएं बेहोश भी हो जाती हैं। 

पेल्विक पेन (श्रोणि में दर्द होना)

गर्भावस्था में डिलीवरी का समय नजदीक आने पर महिलाओं को पेल्विक एरिया में दर्द होने लगता है। महिलाओं को इस समय चुभन व जलन महसूस होता है। चार में से एक महिला को इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है। साथ ही डिलीवरी के कुछ महीनों के बाद तक महिलाओं को इस तरह की समस्या हो सकती है। गर्भावस्था में हार्मोनल बदलाव महिलाओं के स्नायुबंध (लिगामेंट) को शिथिल करता है, जिसकी वजह से महिलाओं को पेल्विक एरिया में दर्द में होने लगता है। इस परेशानी से बचने के लिए महिलाओं को गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में पेट के निचले हिस्से को सपोर्ट करने के लिए बेल्ट पहननी चाहिए व थैरेपी करने से इस समस्या में आराम मिलता है। 

सिरदर्द होना 

प्रेग्नेंसी के पिछले सप्ताह की तरह ही महिलाओं को इस सप्ताह में भी सिरदर्द होने लगता है। प्रेग्नेंसी के अंतिम दौर में हार्मोनल बदलावों के कारण महिलाओं को तेज सिर दर्द महसूस होता है। दरअसल इस सप्ताह में शरीर में पानी की होने वाली कमी भी सिरदर्द की वजह बनता है। इसके अलावा पर्याप्त नींद ने ले पाने की वजह से महिलाओं को सिरदर्द होने लगता है। ऐसे में महिलाओं को पानी पीते रहना चाहिए और दोपहर के समय भी थोड़ी देरी अवश्य सोना चाहिए। 

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संकुचन होना 

कई बार कुछ महिलाओं डिलीवरी के निर्धारित समय से पूर्व ही संकुचन महसूस होने लगता है। इस संकुचन (कॉन्ट्रैक्शन) महिलाओं को गर्भाशय में कसाव व ऐंठन महसूस होती है, ये लक्षण माहवारी के समय होने वाले दर्द की तरह होता है। 

कुछ महिलाओं को इस समय होने वाले संकुचन (कॉनट्रैक्शन) व ब्रेक्सटन-हिक्स संकुचन में भ्रम होने लगता है। ब्रेक्सटन हिक्स संकुचन रुक-रुक कर होते हैं। इसके साथ ही उनमें कोई पैटर्न नहीं होता है और वह तीव्रता से नहीं बढ़ते हैं।

प्रेग्नेंसी के 36वें सप्ताह में महसूस होने वाले अन्य लक्षण 

  • पीठ में दर्द 
  • यूरिन इंफेक्शन 
  • मसूड़ों में दर्द व सूजन 
  • सोने में परेशानी होना
  • पाचन क्रिया में समस्या होना। 

प्रेग्नेंसी के 36वें सप्ताह में भ्रूण का विकास - Fetus Development During 36th Week Of Pregnancy in Hindi

प्रेग्नेंसी के 36वें सप्ताह में भ्रूण का वजन करीब 2.6 से 2.7 किलोग्राम तक हो जाता है। इस समय तक बच्चे की हड्डियां सख्त होने लगेंगी, जबकि फेफड़े, प्रजनन अंग और तंत्रिका तंत्र का विकास जारी रहता है। इस समय तक बच्चे के अधिकतर अंग विकसित होने के अंतिम चरण में होते हैं। हालांकि उसकी हड्डियां व्यस्कों की तरह मजबूत नहीं होती हैं। 

विशेष सूचना - किसी भी तरह के गंभीर लक्षण दिखाई देने पर तुरंत नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें। 

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प्रेग्नेंसी के 36वें सप्ताह से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न - FAQ’s for Week-by-Week Stages of Pregnancy In Hindi

प्रेग्नेंसी के 36वें सप्ताह में किस तरह की जांच करानी चाहिए?

प्रेग्नेंसी के 36वें से 40वें सप्ताह तक महिलाओं को ग्रोथ स्कैन कराना चाहिए। इसके साथ ही गर्भनाल की स्थिति, एमनियोटिक द्रव की मात्रा, शिशु का स्वास्थ्य व रक्तसंचार आदि की जांच नियमित रूप से करानी चाहिए। 

36वें सप्ताह में महिलाओं को कैसा महसूस होता है?

गर्भावस्था के 36वें सप्ताह में अधिकतर महिलाओं को वजाइनल डिस्चार्ज महसूस होता है। इस समय महिलाओं का शरीर डिलीवरी के लिए तैयार होता है इसलिए उन्हें ये लक्षण दिखाई देता है। लेकिन यदि डिस्चार्ज अधिक हो तो ऐसे में एमनियोटिक द्रव के निकलने का संकेत भी हो सकता है। इस स्थिति में महिलाओं को जल्द से जल्द डॉक्टर के पास पहुंचना चाहिए। 

36वें सप्ताह में लेबर पेन शुरू हो सकता है? 

जब महिलाओं को संकुचन या कॉनट्रैक्शन लंबी अवधि के लिए, तेज व बार-बार होने लगे तो ये लेबर पेन के संकेत हो सकता है। ऐसे में महिलाओं को कॉनट्रैक्शन हर पांच मिनट में बार बार महसूस हो सकते हैं। इस स्थिति में महिलाओं को बच्चे की डिलीवरी के लिए अस्पताल पहुंचना चाहिए।

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